Saturday, October 6, 2018

थोडी़ फुर्सत खुद के नाम कर दो....

थोडी़ फुर्सत खुद के नाम कर दो
अपनी थकान कहीं दान कर दो
यूँ खुद को बोझिल बनाना
मेरे यार बंद सरेआम कर दो ।
इस कश्मकश को विदा कर दो
थोड़ा खुद को रिहा कर दो
यूँ सिमटे न रहो
थोडी़ फुर्सत खुद के नाम कर दो ।
निकल आओ उस बाधित समय से
जहाँ साँसों पर भी  पाबंदी है
जो फिक्स कर लिया है तुमने यूँ रूटीन
क्या तुम्हें मिल रहा है भरपूर पसंद पोर्टीन
थोडी़ खुली हवा में जी आओ
उस प्यारी सी ठंडी हवा की झलक ले आओ
उन मधुर गीतों की रागिनी सुन आओ
जाओ थोड़ा खुद को खुद से मिला आओ ।
पल दो पल बैठ अपनो के संग
ले आओ जीवन में नया उमंग
झूमेगी हर एक तरंग
खुद के ही जो हो जाओगे संग ।
जाना थोडी़ दूर उस एकांत में
जिससे भाग रहे तुम एक अरसे से
खो गए हो जो इस भीड़ में
एक नज़र डाल लो ज़रा खुद पे ।
यूँ तो हो गए मस्त मगन इस हाल में
क्या भीतर भी है मन खुशहाली में ???
छोड़ दिया है जो खुद का साथ
अब तो पकड़ लो खुद का हाथ ।
ये भीड़ सदा बढ़ती जाएगी
न जाने कितनी अड़चनें आती जाएँगी
उनसे सामना करने में खुद को भूल न जाओ
थोडी़ फुर्सत खुद के नाम करते जाओ ।
                                  _रुचि तिवारी

No comments:

Post a Comment

थैंक्यू KK! हम रहें या न रहें कल, कल याद आएंगे ये पल, प्यार के पल...

KK, 90's के दौर का वो नाम जिसकी आवाज सुन हम सभी बड़े हुए। 'कुछ करने की हो आस-आस... आशाएं' या 'अभी-अभी तो मिले हो, अभी न करो ...