Friday, October 12, 2018

विथ हर : अ स्किल्ड गर्ल फोर्स

11 अक्टूबर एक ऐसा विशेष दिवस है, जो कि “अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस” के रूप में पूरी दुनिया में मनाया जाता है। दिसम्बर 2011 में यूएन ने 11 अक्टूबर 2012 से इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इस दिवस की स्थापना पर लिंग समानता पर 2030 तक काबू पाने का उद्देश्य निर्धारित किया गया।
हर वर्ष यह दिवस एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है, जिसका चयन महिला सशक्तिकरण को  केन्द्र में रखकर किया जाता है। वर्ष 2012 में पहले अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम की बात करे तो, उसकी थीम ” बाल विवाह की समाप्ति ” थी और हर वर्ष लगातार नई-नई थीम के साथ इस वर्ष 7वां अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस " विथ हर:अ स्किलड गर्ल फोर्स " थीम पर मनाया गया।
इस वर्ष इस थीम के चयन की वजह यह रही कि 10 प्रतिशत छोटी उम्र की बच्चियाँ आज भी स्कूल की छांव से काफी दूर है। वही किशोरियों मे कौशल की कमी देखने को मिल रही है जो कि सशक्तिकरण में एक बहुत बड़ा रोड़ा है।
उपाय :
यूएन (UN)की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की 600 मिलियन किशोरियों में हर एक में इतनी क्षमता, रचनात्मकता एवं शाक्ति है कि वे वैश्विक स्तर की इंडस्ट्री तच पहुंच सकती है। इसके लिए सबसे पहले समाज को कुछ पहल एवं आवश्यक कदम उठाने होगे।
जैसे कि-
* लिंग समानता एवं उसके प्रति प्रतिक्रिया एवं मानसिकता में बदलवा लना पड़ेगा।
* Science (विज्ञान), Technology (तकनीक), Engineering  (इंजीनियरिंग ) एवं Maths (गणित) STEM विषयों व क्षेत्रों में बालिकाओं को बढ़ावा देना।
* एक पहल स्कूलों, काॅलेज में किशोरियों को प्रक्टिकल नाॅलेज की ओर अग्रसर करना। जैसै कि : करियर मार्गदर्शन , इंटर्नशिप , आंत्रपेन्युरशिप आदि ।
* पब्लिक एवं प्राईवेट सेक्टर की तरफ रुझान।
इन जैसे कुछ कदमों को उठाकर हम बालिकाओं में आत्मविश्वास उत्पन्न कर सकते है।
आइए एक पहल करते है और इन बच्चियों को भविष्य़ में डाॅक्टर म, इंजीनियर, वकील, जज, आईएएस, टीचर ,पायलट , फ्रिलांसर , स्तंभकार आदि बनाने का संकल्प लेते है।
                  लेखिका- रूचि तिवारी
नोट- उपयुक्त लेख में विभिन स्त्रोतों से डाटा इक्कठा करके लेखिका ने अपने विचार पेश किये हैं ।

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