Wednesday, January 30, 2019

ये जिंदगी भी ....

ये जिंदगी भी कितने रंग उड़ाती है ,
पहर दर पहर नए सपने सजाती है ,
सोचकर कई दफा ख्वाब सुहाने ,
मेरी आँखे हर मरतफ़ा नई चमक लाती है ।
ये जिंदगी कितना कुछ दिखाती है ,
कभी किसी का दर्द तो कभी प्यार जताती है ,
याद करने बैठ जाऊँ जो सबको ,
तो नैनों में हजार तस्वीर उतर जाती है।
ये जिंदगी कितना कुछ कर जाती है ,
हर किसी की झोली भर जाती है ,
कहीं मोह या दया भाव तो कहीं लालच या अहं दे जाती है ,
खुद का जो देखूँ दामन तो सिर्फ़ कलम रह जाती है ।
ये जिंदगी कितने गीत सुनाती है ,
मुसलसल नई-नई धुन गाती है ,
खो जाती हूँ जो इसमें कहीं ,
तो लबों पर मेरे सिर्फ़ कविताएँ रह जाती है।
ये जिंदगी भी ............
                            .......रुचि तिवारी

Tuesday, January 15, 2019

देश के वीर

बंजरो में रहते हैं ,
उपजाऊ को बचाते हैं ,
दिन रात जागते हैं ,
और हमें महफूज़ बनाते हैं ,
गर्मी ठंडी में भी जंग में जाते हैं ,
हमारे लिए अपनी जान पर खेल जाते हैं,
ये परमगति को पाते हैं ,
और शहीद कहलाते हैं ,
अपना घर पल में छोड़ ,
सरहद को चले जाते हैं ,
देश को महफूज़ बनाने गोली छाती पर खाते हैं ,
हर विपत्ति का सामना डटकर कर जाते हैं ,
धरा,आकाश ,नीर हर जगह पर जाते हैं ,
देश की वीर जवान हर हद को चीर जाते हैं ।
                              _रुचि तिवारी
#भारत माँ की शान हैं
#देश की ये जान हैं
#सेना दिवस
#armyday

Thursday, January 10, 2019

विश्व हिंदी दिवस

आज का दिन एक विशेष दिवस के रूप में भारत के साथ-साथ पूरे विश्व में मनाया जा रहा हैं । और यह दिवस कोई साधारण दिवस नहीं अपितु एक भाषाई दिवस है , " विश्व हिंदी दिवस " है।
हिंदी एक ऐसी भाषा है जो समुंदर है और जिसमें न जानें कितनी छोटी बडी़ नदियाँ (भाषाएँ, बोलियाँ) आकर समाहित होती जा रहीं हैं और हिंदी उन्हें सहृदय स्वीकार भी कर रही हैं ।
हिंदी का विशाल हृदय सबको पल भर में अपना बना लेता है और इस तरह अनेक भाषा बोली उसमें घुल मिल जाती हैं कि परायापन समझ ही नहीं आता ।
              क्यों मनाते हैं दिवस ?
प्रायः हम सभी दिवस तो मना लेते हैं पर हमें यह नहीं पता होता की हमने यह विशेष दिवस मनाया क्यों या उस विषय पर विशेष दिवस मनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी ?
दुनिया में हिंदी के व्यापक प्रचार के लिए 10 जनवरी 1975 को नागपुर में पहला विश्व हिंदी सम्मलेन का आयोजन हुआ । और फिर सिलसिला निरंतर चला । साल 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह ने हर वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाए जाने की घोषणा की और तब से हिंदी के प्रचार हेतु हर वर्ष मनाया जाने लगा ।
                   हिंदी का प्रभाव :
हिंदी का वैश्विक स्तर पर काफी प्रभाव हुआ है ।
»     एक तरफ़ जहाँ पहले मोबाइल कीबोर्ड  में केवल अंग्रेज़ी फौंट उपलब्ध रहते थे वहाँ हिंदी को स्थान मिला ।
»    इंटरनेट पर कंटेंट और इंफाॅरमेशन जहाँ हिंदी भाषा  में नहीं मिलती थी वहाँ अन्य भाषाओं के साथ-साथ हिंदी को प्राथमिकता दी गई  ।
»    सभी सर्च ईंजनस् पर हिंदी टाईपिंग एवं वाॅइस कमांड दोनों तरीकों से सर्च करने की प्रक्रिया ने हिंदी के महत्व को दर्शाया।
»     विभिन्न वेबसाइटों पर मौजूद हिंदी साहित्य , लेख, आलेख, कविता ,गज़ल ,मुक्तक , ब्लाॅग , रचनाओं ने हिंदी का अलग स्थान दर्ज किया ।
»     अब आॅनलाईन न सिर्फ़ अंग्रेज़ी माध्यम की किताबें मिल रहीं हैं वरन् हिंदी के उपन्यास , कहानी-संग्रह और किताबों का अंबार एवं PDF फाॅरमेट भी मौजूद है ।
»   सोशल साईटों पर हिंदी स्टेट्स एवं पोस्टों का बढ़ता रूझान ।
»   अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी को पढ़ने-लिखने और बोलने सीखने का ग्राॅफ बढा़।
हिंदी की सर्वसमाहित करने की प्रवृत्ति ने कहीं-न-कहीं हिंदी को प्रदूषित कर दिया है। एक ओर जहाँ साहित्यिक भाषा से दूरी होती जा रही है वहीं दूसरी ओर गलत उच्चारण और मात्राओं के अज्ञान को बढा़वा मिल रहा हैं । हिंदी को प्रदूषण से मुक्त कराने हम सभी को अपने-अपने स्तर पर कई छोटे-बड़े प्रयास करने होंगें ।
                                               _रुचि तिवारी
               

Sunday, January 6, 2019

नए चैप्टर के असाइनमेंट ...

टीचर (जिंदगी) ने हमारी बुक का नया चैप्टर (साल) शुरू कर दिया है । उस चैप्टर (साल) का पहला टाॅपिक (जनवरी) चल रहा है। टीचर (जिंदगी) ने बहुत कुछ बताया है इस चैप्टर में करने को ।  उन्होंने समझाया इस चैप्टर (साल) में 12 टाॅपिक (महीने)और 365 सब~ टाॅपिक (दिन) हैं । हर एक सब~टाॅपिक (दिन) तुम्हें हर रोज़ कोई न कोई नया ज्ञान देगा ।  तुम्हारे सभी टाॅपिक तुम्हें चुनौतियां देंगे खुद को साबित करने की । और तुम सबको अपने वजूद का निर्माण इन्ही टाॅपिक एवं सब~टाॅपिक से मिली सीख से करना होगा। स्टूडेंट्स (लोगों) ने कई सारे असाइनमेंट (रेजोल्यूशन) के बारें में समझकर अपने चैप्टर (साल) को मनोहारी एवं टीचर (जिंदगी) को इम्प्रेस करने की ठान ली हैं ।
जो स्टूडेंट्स (लोग) पिछले चैप्टर में किसी कारण से अपने असाइनमेंट (रेजोल्यूशन) में पिछड़ गए थे या ज्यादा नंबर (सुख~सुविधा) नहीं ले पाए थे , इस बार पूर्णतः फोकस कर रहें है ज्यादा से ज्यादा नंबर पाने और क्लास (दुनिया) के इतने सारे स्टूडेंट्स (लोगों) के बीच में फिर से न पिछड़ने की ।
रेजोल्यूशन (असाइनमेंट)तो स्टूडेंट्स(लोगों) ने लिए पर टीचर (जिंदगी) जो इस चैप्टर(साल) में इतनी सारी चुनौतियां देने वाली हैं उन चुनौतियों से सामना करते हुए कब तक असाइनमेंट पूरा करेंगे या खुद को बदल लेंगें ये तो नया चैप्टर(साल) बताएगा ।

थैंक्यू KK! हम रहें या न रहें कल, कल याद आएंगे ये पल, प्यार के पल...

KK, 90's के दौर का वो नाम जिसकी आवाज सुन हम सभी बड़े हुए। 'कुछ करने की हो आस-आस... आशाएं' या 'अभी-अभी तो मिले हो, अभी न करो ...