Thursday, June 13, 2019

जौहरी बनिये



डियर पैरेंट्स,
मैं आज आपसे अपनी मन की बात कहना चाहता हूँ। वह बात जो मैं और मेरे जैसे न जाने कितने बच्चे अपने माता पिता से नहीं कह पाते। आप सबको सिर्फ़ होटल या दुकान में छोटे-छोटे बच्चे जो काम करते हैं वह शोषित नज़र आते हैं। इसमें ज़रा-सा भी कोई संदेह नहीं है। हाँ वे हैं। आप हमें भाग्यशाली बताते हैं क्योंकि हम सुख सुविधाओं के उपभोगी हैं। परंतु आप भी जाने अनजाने हमारा शोषण करते हैं। हाँ, मुझे यह कहने में बिल्कुल भी असहज महसूस नहीं हो रहा। आप हमारी एक दूजे से तुलना करते हैं। शर्माजी की बेटा हमेशा अव्वल आता है, तुम क्यों पीछे रह जाते हो? फलां बच्चा कितना होनहार हैं, पढ़ाई में होशियार है।
इस बार तुम्हें 99% लाना ही है, तुम्हें इंजीनियर (डाॅक्टर, आदि) ही बनना है। क्यों ? क्योंकि शुक्ला जी का बेटा भी वही है।
आखिर क्यों? क्यों 99% ही? क्यों डाॅक्टर, इंजीनियर आदि ही? क्यों आप हम पर दबाव बनाते हैं? कम नम्बर आने पर ताने देते हैं? आखिर यह बात क्यों नहीं समझते कि हर किसी की अपनी खूबी और काबलियत होती है। हर किसी का मानसिक स्तर एक सा नहीं होता। सबकी रुचि अलग-अलग होती है।
मेरी आपसे और सभी उन मात पिता से दरख्वास्त है कि प्लीज़! हमें समझें। हमपर दबाव न बनाएँ। हमारा मानसिक शोषण न करें। सही राह पर लाना, अच्छे संस्कारों से सुसज्जित करना कर्तव्य है पर एक खुली मानसिकता और वातावरण प्रदान करना भी कर्तव्य ही है। एक बार हमसे हमारी सुनकर तो देखिए। हमारा निरिक्षण तो किजिए। कभी हम पर, हमारे कृत्यों पर गौर तो करिए। तब तो आप हमें बखूबी समझ पाएँगे और हमारा उज्जवल भविष्य निर्धारित कर सकेंगे। अगर हम आपके हीरे हैं तो आप भी हमारे जौहरी बनिये न।
आशा हैं मेरे मनोभावों को आप समझ सकेंगे।
आपका प्यारा "बेटू"                                                     ......................

                                           लेखिका _रुचि तिवारी 

1 comment:

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