Monday, April 30, 2018

यूँ तो मैं नकारात्मक नहीं !!!

मीडिया  एक बहुत ही व्यापक क्षेत्र है जिससे कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है । व्यापार हो या राजनीति , खेल या  फैशन ~ ग्लैमर , शिक्षा हो या मनोरंजन चाहे फिर  क्यों ही हो  राशिफल हर एक टार्गेट रीडर्स(अॉडियंस) के समूह के लिए समूचा  जानकारियां इकट्ठा फर्ज है मीडिया का ।
                  मीडिया है ही जनता\समाज के लिए और जब जनता से फीडबैक लिया जाता है तो मीडिया के विषय  पर सबसे बड़ा सवाल यह  खड़ा कर दिया जाता है कि मीडिया में इतनी नकारात्मकता क्यों आ रही है । मैं नहीं मानतीं की मीडिया में सिर्फ नकारात्मक खबरों को ही दर्शाया जाता है । मीडिया का तात्पर्य अगर जनता सिर्फ टी.वी. या अखबार तक रखती है तो वह अभी तक जागरूक नहीं है । मीडिया की बहुत सारी शाखाएं हैं जिनमें अखबार और न्यूज चैनल के अलावा मैग्जीन, फिल्म, रेडियो  आदि आते है।
                बात शुरू हुई थी मीडिया में नकारात्मकता को लेकर । जाहिर है मीडिया वही दर्शाती है जो समाज में घटित होता है । इस कड़ी में मीडिया की शाखा फिल्म और धारावाहिक में थोड़ा अंतर हो जाता है क्योंकि वह काल्पनिकताओं को पंख देते हुए अपने संदेश की बखूबी उड़ान भरता है।
वहीं अमूमन लोगों के ज़हन में रहने वाली शाखा न्यूज़ चैनलों की बात की जाए तो वह वही दर्शा रहे हैं जो समाज में घटित हो रहा हैं । अगर समाज में नकारात्मक घटनाएँ  अधिक हो रहीं हैं तो स्वभावतः खबरें वहीं बनेगी और इन सबके बावजूद मीडिया समाज के सकारात्मक परिपेक्ष्य को दर्शाकर अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहीं है।
         बात इतनी सी स्पष्ट करना चाह रहीं हूँ कि जहाँ अखबार और न्यूज़ चैनलों में ऐक्सिडेंट , रेप जैसी कई अन्य नकारात्मक न्यूज़ दिखाई जाती है तो वहीं किसानों की समस्याओं को उठाया जाता है , पानी की किल्लत भी दर्शाती है और मासूमों एवं बेगुनाहों की  आवाज को भी उठाया जाता है ।
   अब तो फिल्में भी सिर्फ़ मनोरंजन का साधन और काल्पनिकता की दुनिया नहीं रह गई । अब वहां दंगल, अकीरा, पिंक, टाॅयलेट, पैडमैन जैसी अनेक फिल्में है जो न सिर्फ़ जागरूक करती है  वरन आत्मविश्वास भी एक नई उर्जा के साथ उत्पन्न करती हैं ।
             समाज को ऐसी अनकही बात समझनी चाहिए जो कि बयां नहीं हो पा रही हैं ।

थैंक्यू KK! हम रहें या न रहें कल, कल याद आएंगे ये पल, प्यार के पल...

KK, 90's के दौर का वो नाम जिसकी आवाज सुन हम सभी बड़े हुए। 'कुछ करने की हो आस-आस... आशाएं' या 'अभी-अभी तो मिले हो, अभी न करो ...