Sunday, March 24, 2019

कलम के सिपाही


लेकर पन्ना और स्याही,
बने हैं हर सड़क के राही ,
हैं ये सबके माही ,
निकले हैं कलम के सिपाही ।

शब्दों से करते हैं ये वार ,
नहीं चाहिए और कोई औजार ,
कलम और पन्ने से इनको प्यार ,
झट से उँकेरे मन में आए सभी विचार ।

लफ्जों का होता हर पल ख्याल ,
बेबाकी से कहने पर कभी न करते ये मलाल ,
बखूबी बयां करते हैं हर हाल ,
देखो तो ज़रा इनकी खूबसूरत चाल ।

भिन्न भिन्न विधा आज़माते ,
हर विषय पर हैं चढ़ जाते ,
अनुसंधान तक है उतर आते,
लिखने को क्या नहीं कर जाते ।

जनता को अवगत हैं करवाते,
कल्पना संग सच्चाई बतलाते ,
साहित्य में संस्कृति सजाते,
यूँ हीं कलम के सिपाही नहीं कहलाते ।

निर्भीक हो कलम चलाते,
लाज अपनी दाव पर लगाते,
आँधी पानी नहीं इन्हें रोक पाते,
जब जब ये कलम चलाते ।

आलोचक ,प्रोत्साहन सब हैं मिलते,
राम राम करते हैं ये चलते ,
कभी नहीं इनके कर थकते,
न ही विचारों में जंग है लगते।

जादूगर हैं लफ्जों के,
माली हैं विधाओं के,
किसान हैं विचारों के,
सिपाही हैं ये कलम के।

                            _रुचि तिवारी......

Wednesday, March 13, 2019

हमारा बसंत होगा

माई ,ये बसंत क्या होता है ? रवि ने दुलारी से पूछा ।

बाद में बताती हूँ , अभी फटाफट काम करने दे । दुलारी जल्दबाजी में काम समेटे हुई बोली।

पीछे खड़ी श्यामा दीदी ने रवि के बोल सुन ली थी सो रवि को अपने पास बुलाया और समझाया।

श्यामा दीदी वहीं है जिनके घर रवि की माई काम करती है।

बसंत एक ऋतु होती है। ऋतु को तुम मौसम समझ लो। बसंत को ऋतुराज कहा जाता है। पतझड़ के बाद आई ये ऋतु प्रकृति को सजाती है। मनमोहिनी है । पर्यावरण में हरियाली छा जाती है। पेड़ नए नए फूलों से लद जाते है । प्यारी प्यारी हवा प्रकृति के सुनहरे रूप की ओर आकर्षित करती है । बसंत ऋतु सबको बहुत पसंद है । इस ऋतु को तुम ऐसे समझो की ये पर्यावरण की खुशी की कुंजी है क्योंकि पतझड़ जहाँ पर्यावरण का निखार उजाड़ देता है वहीं बसंत आकर पर्यावरण का घर फिर खुशियों से सजा देता है। श्यामा दीदी ने रवि को बहुत प्यार से समाझाया।

बड़ी माँ मतलब की जब मैं पढ़ लिखकर बड़ा अफसर बन जाऊँगा , तब मेरा बसंत आएगा।  पाँच वर्षीय रवि की इतनी बड़ी बात सुन श्यामा दीदी बोली ,कहना क्या चाह रहे हो रवि?  बड़ी माँ , मतलब जब मैं बड़ा अफसर बन जाऊँगा तो मेरी माई को घर घर जाकर काम नहीं करना पडे़गा , कोई उसका तिरस्कार नहीं करेगा और सब मेरे दोस्त बन जाएँगे । तभी तो हमारा बसंत होगा।

                                           _रुचि तिवारी
                                               जबलपुर

Monday, March 11, 2019

परीक्षा

भरे समाज उस नारी की हो रही थी बुराई ,
मैंनें भी पूँछ ही ली तुमको यह बात किसने बताई ?
माँ मुझे खींच कर तुरंत अंदर लाई ,
बोली तुझमें इतनी हिम्मत कैसे आई ?

मैं बोली , मैं कुछ समझी नहीं माई ,
कहाँ मैंनें अपनी ताकत दिखाई ?
वो बोलीं भरे समाज तूने जुबां कैसे चलाई ?
क्या तूने लाज शर्म सब है बेच खाई

मेरी आँखे तब चौंक गई ,
मैं अपनी नजरों में गिर गई ,
फिर भी मैं माँ से पूँछ गई ,
इसमें मैं क्या गलत कर गई ?

मेरा बोलना क्यों गलत है ?
लोगों का बातें बनाना क्यों नहीं ?
मेरा टोकना क्यों गलत है ?
लोगों का नज़रिया क्यों नहीं ?

माँ मेरे मन को भाप गई ,
कौतूहल को नाप गई ,
सही समय है समझ गई ,
मुझे समझाने बैठ गई ।

ओ मेरी बिटिया रानी ,
बडे़ गौर से सुनना ,
सब है तुमको समझना ,
आज नहीं तो कल दुनियादारी में है पड़ना ।

हो तुम एक नारी , हर क्षण नई परीक्षा से है गुज़रना,
पल पल राह में मिलेंगे काँटे , पथ से मत मुकरना,
बोलेंगे लोग, टोकेंगे लोग , तुम मत डरना,
उस नारी से आज सीख लो जिसके लिए तुमने शुरु किया कहना।

भटकाएँगे , धमकाएँगे, तुमको वो डराएँगे ,
ओ मेरी प्यारी बिटिया , हर बढ़ते पग पर तुमसे वो टकराएँगे,
कदम कदम तुमको वो परिक्षण कर आजमाएँगे,
जीवन एक कसौटी नाम देकर बहुत परीक्षा करवाएंगे ।

जीवन की हर परीक्षा तुमको आस निराश देगी ,
तुम थकना मत तुम रूकना मत ,
बस बढ़ती जाना,
निराशा में भी आशा जगाना , यही है जीवन की असल परिक्षा।

_ रुचि तिवारी
Instagram : ruchi_tiwari31

Sunday, March 3, 2019

You Have To Be....



You came in my life as a cherub , she said .

What I had done , why are you saying this? , he replied.

You were there when no one was there to guide me, motivate me , encourage me and the most important who believe on me. Yeah , that I can also do it. , she mentioned .

I just saw the glitter of your eyes towards the work , I recognized your that ability which might has been not visible to others yet. And I just make a effort . Don't call me as a cherub .
He explained.

Why should not ? You came in my life kept your all efforts , make me able and now going . Is it not enough for saying you cherub ?  She asked .

He just smiled and understood that she doesn't 't want to let him go.

She asked again , now who will help me decisions ? Who will tell me difference ? With whom I will freely and fearlessly talk ?
He replied : No one is with you forever . You have to be first of all your own. Once you will be your you will be able to manage any condition . Just believe in yourself. I'm always yours . Whenever you will need me I will be inside you ,beside you,  just recognise your self.

Ruchi Tiwari

थैंक्यू KK! हम रहें या न रहें कल, कल याद आएंगे ये पल, प्यार के पल...

KK, 90's के दौर का वो नाम जिसकी आवाज सुन हम सभी बड़े हुए। 'कुछ करने की हो आस-आस... आशाएं' या 'अभी-अभी तो मिले हो, अभी न करो ...