Sunday, December 26, 2021

शायद तुम्हारे साथ की जरूरत होगी...




एक चहकती हुई लड़की,
जब अचानक चुप हो गई होगी,
कोई तो बात उसे कचोट गई होगी
तब, शायद उसे तुम्हारे साथ की जरूरत होगी।

भरी भीड़ में भी वो अकेली होगी,
तमाम साथों के बीच तुम्हारे हाथ की नमी की कमी होगी,
गुजर गया होगा दिन, लेकिन रात नहीं कटी होगी
तब, शायद उसे तुम्हारे साथ की जरूरत होगी।

बात करने को बात नहीं होगी,
लेकिन होटों पर शब्दों की माला होगी
कहा कुछ भी नहीं, अजीब-सी शांत होगी,
तब, शायद तुम्हारे की जरूरत होगी।

कई दफा बातों-बातों में अपनी परेशानी कही होगी,
तुम्हारी बातें काट, अनसुनी की होगी,
हो सकता है भरे बाजार अकेली होगी
सब कुछ होकर भी कोई कमी होगी,
तब, शायद उसे तुम्हारे साथ की जरूरत होगी।

-रुचि तिवारी

Monday, June 14, 2021

सार्थक मुलाकात




बेशक एक मुलाकात होगी,
किसी राह या किसी मोड़ पर,
होठों पर दबे हजार सवाल,
बाहर आने को आतुर होंगे,
उन सवालों के जवाब पाने,
जो बातों के सिलसिले में अधूरे रह गए थे।
जवाब दोनों को चाहिए,
उन सवालों के नहीं; जिन्हें पूछने पर भी जवाब नहीं मिला,
बल्कि उन सवालों के जो तुम्हें देखकर मन में उठे,
वो सवाल, जब तुमने कुछ कहा और मैं स्तब्ध रह गई थी।
मुलाकात के दौरान,
इन सभी सवालों को एक माला में पिरोकर लाउंगी,
तुम माला तोड़ना और एक-एक मोती में चीखते सवाल का जवाब देना,
फिर इस मुलाकात को मैं 'सार्थक मुलाकात' का नाम दूंगी।

- रुचि तिवारी

Sunday, March 28, 2021

जिंदगी में तलाश...

किसी की जिंदगी बाजार है,
तो किसी कि एक बंद कमरा।
ऐसा कमरा जहां सालों की यादें कैद हैं,
लेकिन उन यादों को जीने वाला कोई नहीं।
अब उस कमरे की ओर कोई नहीं निहारता,
कुछ पुराने सामान अब भी हैं वहां,
जिनकी शायद अब जरूरत नहीं,
इसलिए उस कमरे को निहारने की किसी को भी फुर्सत नहीं।

जिसकी जिंदगी बाजार है,
वहां रोज़ नए लोगों का आना-जाना है,
विचारों का आदान-प्रदान है,
मिलन है, स्फूर्ति है, खुशी है।




बंद कमरा एक खिड़की निहार रहा है,
रोशनी की तलाश है,
चाह है उसे किसी अपने को पाने की,
तो वहीं बाजार सुकून तलाश रहा है,
जहां दो पल उसे फुर्सत के मिलें
और वो खुद को स्थिर कर सके।

-रुचि तिवारी

Saturday, March 20, 2021

चाहती मैं भी नहीं थी कि तुमसे तुम्हारा 'अधिकार' छीन लूं,
लेकिन मुझे ये बरदार्शत नहीं कि अपना 'हक' किसी और के नाम लिख दूं।

Friday, March 19, 2021

कुछ परेशानियाँ सिर्फ बात करने से खत्म हो जाती हैं,
तो तुम रोजाना मुझसे बात करते रहा करो...

Monday, March 15, 2021

इस बार जब मिलने आना तो,
थोड़ी फुर्सत साथ लाना।
ये पल-दो पल की मुलाकात मुझे रास नहीं आती।

Thursday, February 25, 2021

करवट


करवटें बदलना हमें भी नहीं पसंद,
लेकिन अपना दर्द तुम से बयां भी नहीं कर सकते।
-रुचि तिवारी

Sunday, January 3, 2021

बेशक...




बेशक जरुरी नहीं की कोई आपके लिए पहला हो,
लेकिन आप किसी के लिए पहले और आखिरी जरूर हो सकते हैं...

-रुचि तिवारी

थैंक्यू KK! हम रहें या न रहें कल, कल याद आएंगे ये पल, प्यार के पल...

KK, 90's के दौर का वो नाम जिसकी आवाज सुन हम सभी बड़े हुए। 'कुछ करने की हो आस-आस... आशाएं' या 'अभी-अभी तो मिले हो, अभी न करो ...