Sunday, March 28, 2021

जिंदगी में तलाश...

किसी की जिंदगी बाजार है,
तो किसी कि एक बंद कमरा।
ऐसा कमरा जहां सालों की यादें कैद हैं,
लेकिन उन यादों को जीने वाला कोई नहीं।
अब उस कमरे की ओर कोई नहीं निहारता,
कुछ पुराने सामान अब भी हैं वहां,
जिनकी शायद अब जरूरत नहीं,
इसलिए उस कमरे को निहारने की किसी को भी फुर्सत नहीं।

जिसकी जिंदगी बाजार है,
वहां रोज़ नए लोगों का आना-जाना है,
विचारों का आदान-प्रदान है,
मिलन है, स्फूर्ति है, खुशी है।




बंद कमरा एक खिड़की निहार रहा है,
रोशनी की तलाश है,
चाह है उसे किसी अपने को पाने की,
तो वहीं बाजार सुकून तलाश रहा है,
जहां दो पल उसे फुर्सत के मिलें
और वो खुद को स्थिर कर सके।

-रुचि तिवारी

Saturday, March 20, 2021

चाहती मैं भी नहीं थी कि तुमसे तुम्हारा 'अधिकार' छीन लूं,
लेकिन मुझे ये बरदार्शत नहीं कि अपना 'हक' किसी और के नाम लिख दूं।

Friday, March 19, 2021

कुछ परेशानियाँ सिर्फ बात करने से खत्म हो जाती हैं,
तो तुम रोजाना मुझसे बात करते रहा करो...

Monday, March 15, 2021

इस बार जब मिलने आना तो,
थोड़ी फुर्सत साथ लाना।
ये पल-दो पल की मुलाकात मुझे रास नहीं आती।

थैंक्यू KK! हम रहें या न रहें कल, कल याद आएंगे ये पल, प्यार के पल...

KK, 90's के दौर का वो नाम जिसकी आवाज सुन हम सभी बड़े हुए। 'कुछ करने की हो आस-आस... आशाएं' या 'अभी-अभी तो मिले हो, अभी न करो ...