Tuesday, December 29, 2020

अंहकार

एक शख्स का सबसे बड़ा दुश्मन उसका अंहकार होता है...

Sunday, December 20, 2020

चले जाने दो उसे...


चले जाने दो उसे,
दो मील सफर तय कर आए,
दुनियादारी भले न सीखे,
लेकिन खुद को तो संभाल आए...
©रुचि

Sunday, May 24, 2020

ख्याल, तुम क्या जाओगे?

एक तस्वीर देख जो तुम आ गये,
मेरे ज़हन में अचानक समा गये,
मन में अफरा-तफरी मचा गये,
ऐ, ख्याल तुम क्यों आ गये?

लाख कोशिशों के बावजूद,
हजार सवाल उठा गये,
सीधी-सादी सी बात पर,
क्यों मुझे उलझा गये?
ऐ, ख्याल तुम क्यों आ गये?


ना चाहते हुए भी बार-बार उसका जिक्र ला गये,
भूलने के बावजूद क्यों तुम हर बार याद आ गये,
इसे विनती कहूँ या सवाल,
लेकिन बताओ;
ऐ, ख्याल तुम क्या मेरे ज़हन से जा पाओगे?


क्या कभी मुझे तुमसे भटका पाओगे,
या यूं ही हर पल सताओगे,
माना, सच तुमसे इतर है,
फिर क्यों एक सच की तरह आकर बस गये,
बताओ ख्याल, क्या तुम कभी जा पाओगे?

-रुचि तिवारी

Monday, May 4, 2020

भला कैसे?

कह तो दूँ !
पर कैसे कहूँ,
हाल ए दिल बयाँ कैसे करूँ ?

रह तो लूँ !
पर कैसे रहूँ,
बिन तेरे तू ही बता मैं कैसे रहूँ ?

चल भी लूँ !
पर कैसे चलूँ,
अकेले ये सफ़र तय कैसे करूँ ?

देख भी लूँ !
पर कैसे देखूँ,
सपने सुहाने अकेले कैसे देखूँ ?

हँस भी लूँ !
पर कैसे हसूँ,
तेरे बिना मैं कैसे हँसू ?

सब्र कर लूँ !
पर कैसे करूँ,
चल, तेरे लिए ताउम्र कर लूँ !!!

_ रुचि तिवारी


Sunday, March 22, 2020

वो कविता बनना चाहती है...


एक सरल सी शब्दों की माला बनना चाहती है,
वो कविता बनना चाहती है!
शब्दों की शक्ति में खुद की आत्मा पिरोना चाहती है,
वो कविता बनना चाहती है!
सुकुन का जरिया और शख्स के लबों पर ठहरना चाहती है,
वो कविता बनना चाहती है!
शक्ति, माया, मोह, वासना, प्रेम का राग बनना चाहती है,
वो कविता बनना चाहती है!


बिन कहे भी सब कुछ कहना चाहती है,
वो कविता बनना चाहती है!
खुद के लिए प्रशंसा सुनना चाहती है,
वो कविता बनान चाहती है!
जीवन के हर रस को छंद में पीरोना चाहती है,
वो कविता बनान चाहती है!
कल्पनाओं को जीना चाहती है,
वो कविता बनान चाहती है!
बेड़ियों से दूर बस बहना चाहती है,
वो कविता बनना चाहती है!
स्याही, कलम, कागज और सपनों में रहना चाहती है,
वो कविता बनान चाहती है!
न होकर भी वो होना चाहती है,
वो कविता बनान चाहती है!
एक अमिट-अमर लफ्जों की छाप छोड़ना चाहती है,
वो कविता बनान चाहती है!
वो कविता बनान चाहती है!

थैंक्यू KK! हम रहें या न रहें कल, कल याद आएंगे ये पल, प्यार के पल...

KK, 90's के दौर का वो नाम जिसकी आवाज सुन हम सभी बड़े हुए। 'कुछ करने की हो आस-आस... आशाएं' या 'अभी-अभी तो मिले हो, अभी न करो ...