Thursday, May 19, 2022

अच्छा ठीक है...

अक्सर, जिंदगी में ऐसे लोगों की एंट्री हो जाती है, जिनके साथ एक समय तक सबचकुछ सही चल रहा होता है। इस बीच एक ट्विस्ट आता है और सब तितर-बितर हो जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ यामी के साथ। यामी के साथ कोचिंग में पढ़ने वाला यश काफी अलग था। शायद इसलिए क्योंकि सबके विचारों से उसके थॉट्स मैच नहीं होते थे। यामी को वो काफी अलग लगा। सो चुलबुली सी यामी ने बात करने की कोशिश की। धीरे-धीरे यामी और यश काफी अच्छे दोस्त बन गए। 


अब कोचिंग सेंटर से दोनों का घर एक ही रास्ते पर था, सो आना-जाना साथ में होने लगा। बातें बढ़ी और नजदीकी भी। लेकिन कहते हैं न किसी भी चीज की अति अच्छी नहीं होती है। यहां भी पेंच अति पर ही फंस गया। अब सबके साथ मैच नहीं होने पर यश को लगने लगा कि यामी का उसके अलावा कोई अच्छा दोस्त नहीं है। और यहीं से सब कुछ बिगड़ना शुरू हो गया। अति चलो एक बार ठीक है, लेकिन जब सामने वाले से आप कुछ ज्यादा ही आस लगाकर बैठ जाओ और बदले में वो ऐसा न करे तो हां, सचमुच में बहुत बुरा लगता है। 


अब इसी दौर से गुजरने लगा यश। उसने यामी से कुछ ज्यादा ही एक्सपेक्ट कर लिया। नतीजा ये निकला की दोनों के बीच बहस शुरू होने लगी। बात नहीं सिर्फ बहस होती थी। बहुत समझाने के बाद भी कुछ भी ठीक नहीं हुआ और बातें बंद हो गई। एक दिन अचानक मोबाइल में नोटिफिकेशन आया। नोटिफिकेशन पॉप अप टेक्स्ट मैसेज का था। लिखा था- 'यश, दिल्ली में एडमिशन हो गया है। अगले सप्ताह चली जाऊंगी।' तुरंत रिप्लाई गया- 'एक बार मिलोगी नहीं ?' कुछ टाइम बाद रिप्लाई आया हां, लेकिन, चलो अच्छा ठीक है... लेट्स कैच अप इन इवनिंग एट 5... लेट मत होना... मैसेज देख यश ने काफी देर बैठा रहा। कुछ देर बाद यश ने लिखा- अच्छा ठीक है, कोशिश करूंगा। 

थैंक्यू KK! हम रहें या न रहें कल, कल याद आएंगे ये पल, प्यार के पल...

KK, 90's के दौर का वो नाम जिसकी आवाज सुन हम सभी बड़े हुए। 'कुछ करने की हो आस-आस... आशाएं' या 'अभी-अभी तो मिले हो, अभी न करो ...