जब अचानक चुप हो गई होगी,
कोई तो बात उसे कचोट गई होगी
तब, शायद उसे तुम्हारे साथ की जरूरत होगी।
भरी भीड़ में भी वो अकेली होगी,
तमाम साथों के बीच तुम्हारे हाथ की नमी की कमी होगी,
गुजर गया होगा दिन, लेकिन रात नहीं कटी होगी
तब, शायद उसे तुम्हारे साथ की जरूरत होगी।
बात करने को बात नहीं होगी,
लेकिन होटों पर शब्दों की माला होगी
कहा कुछ भी नहीं, अजीब-सी शांत होगी,
तब, शायद तुम्हारे की जरूरत होगी।
कई दफा बातों-बातों में अपनी परेशानी कही होगी,
तुम्हारी बातें काट, अनसुनी की होगी,
हो सकता है भरे बाजार अकेली होगी
सब कुछ होकर भी कोई कमी होगी,
तब, शायद उसे तुम्हारे साथ की जरूरत होगी।
-रुचि तिवारी
Really amazing meri pyaari dost
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