Wednesday, March 13, 2019

हमारा बसंत होगा

माई ,ये बसंत क्या होता है ? रवि ने दुलारी से पूछा ।

बाद में बताती हूँ , अभी फटाफट काम करने दे । दुलारी जल्दबाजी में काम समेटे हुई बोली।

पीछे खड़ी श्यामा दीदी ने रवि के बोल सुन ली थी सो रवि को अपने पास बुलाया और समझाया।

श्यामा दीदी वहीं है जिनके घर रवि की माई काम करती है।

बसंत एक ऋतु होती है। ऋतु को तुम मौसम समझ लो। बसंत को ऋतुराज कहा जाता है। पतझड़ के बाद आई ये ऋतु प्रकृति को सजाती है। मनमोहिनी है । पर्यावरण में हरियाली छा जाती है। पेड़ नए नए फूलों से लद जाते है । प्यारी प्यारी हवा प्रकृति के सुनहरे रूप की ओर आकर्षित करती है । बसंत ऋतु सबको बहुत पसंद है । इस ऋतु को तुम ऐसे समझो की ये पर्यावरण की खुशी की कुंजी है क्योंकि पतझड़ जहाँ पर्यावरण का निखार उजाड़ देता है वहीं बसंत आकर पर्यावरण का घर फिर खुशियों से सजा देता है। श्यामा दीदी ने रवि को बहुत प्यार से समाझाया।

बड़ी माँ मतलब की जब मैं पढ़ लिखकर बड़ा अफसर बन जाऊँगा , तब मेरा बसंत आएगा।  पाँच वर्षीय रवि की इतनी बड़ी बात सुन श्यामा दीदी बोली ,कहना क्या चाह रहे हो रवि?  बड़ी माँ , मतलब जब मैं बड़ा अफसर बन जाऊँगा तो मेरी माई को घर घर जाकर काम नहीं करना पडे़गा , कोई उसका तिरस्कार नहीं करेगा और सब मेरे दोस्त बन जाएँगे । तभी तो हमारा बसंत होगा।

                                           _रुचि तिवारी
                                               जबलपुर

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