"मैं शायद कभी भी पापा के करीब नहीं जा पाऊँगी माँ ! मुझे उनकी सफाई मत दो ।" आरोही ने ऊँची आवाज़ में झल्लाकर कहा ।
निशा के पास कोई शब्द नहीं थे आरोही से कुछ कहने को।
पर फिर भी हौसला बाँधे बस इतना ही कह सकी "वह तेरे पिता हैं ।"
आरोही एकटक उनको निहार "नहीं ! वो नशेड़ी हैं । पिता होते तो परिवार का ख्याल होता । रोज़ रोज़ नशा करके नहीं आते। कभी भी बेफिजू़ल बात पर तुम्हें ज़लिल नहीं करते और न ही हमेशा घर में तमाशे होते।"
"वो हमसे दूर रह सकते हैं पर नशे से नहीं।
नशा इस कदर उनके जुनून में सवार हो चुका है कि परिवार की नहीं उन्हें अपने नशे की चिंता होती है।"
इस नशे ने उनसे उनका सब ले लिया है, वे बेखुद हो चुके हैं उन्हें तो यह भी खबर नहीं।
_रुचि तिवारी
Ig : ruchi_tiwari31
Nc one ruchi
ReplyDelete😢😢😢
ReplyDeleteVery good concept
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteNice
ReplyDelete