ऐ खुदा बस इतनी मेहर कर दे
उसके लबों की वो हँसी मुझे वापस कर दे
झूम जाऊँ फिर एक बार उसे देखकर
बस इतनी है दुआ तुझसे इसे कुबूल कर ले ।
उसके लबों की वो हँसी मुझे वापस कर दे
झूम जाऊँ फिर एक बार उसे देखकर
बस इतनी है दुआ तुझसे इसे कुबूल कर ले ।
उन चमकती नज़रों में सिर्फ़ सुनहरे सपने रहने दे
उन लबों पर एक लंबी हँसी रहने दे
चमकने दे उसके चाँद से चेहरे को यूँ ही
मुझे उसे देख मुस्कुराने दे यूँ ही ।
उन लबों पर एक लंबी हँसी रहने दे
चमकने दे उसके चाँद से चेहरे को यूँ ही
मुझे उसे देख मुस्कुराने दे यूँ ही ।
कभी गुमसुम कभी कहीं खोया
यूँ उसका बेचैन होना मुझे रास न आया
उसे मत सिमटने दे खुद में
ऐ खुदा बस इतनी महर कर दे ।
यूँ उसका बेचैन होना मुझे रास न आया
उसे मत सिमटने दे खुद में
ऐ खुदा बस इतनी महर कर दे ।
नूर था जो उसने बिखेरा
रहे सदा उसी तरह मस्त मौला
बातें चार की सोलह उसे करने दे
ऐ खुदा बस इतनी सी महर कर दे ।
रहे सदा उसी तरह मस्त मौला
बातें चार की सोलह उसे करने दे
ऐ खुदा बस इतनी सी महर कर दे ।
_ रूचि तिवारी
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