फुरसत के दो पल निकाल
खुद की यादों में गुम होना
उनको लगता थोडा़ अजीब है
थोडा़ अकेले होकर फिर कहीं गुम होना
और यादों को याद कर थोडा़ दुखी होना
फिर वर्तमान को देख खुद को सम्भाल लेना
और झटके से कहना खैर सब ठीक है ।
खुद की यादों में गुम होना
उनको लगता थोडा़ अजीब है
थोडा़ अकेले होकर फिर कहीं गुम होना
और यादों को याद कर थोडा़ दुखी होना
फिर वर्तमान को देख खुद को सम्भाल लेना
और झटके से कहना खैर सब ठीक है ।
फुरसत के चंद लम्हों में
सबको एक तरफ छोड़ देना
और सिर्फ़ खुद की इच्छा को सुन लेना
सुनकर उसी में जी जान से लीन होना
न समय न समाचार न देश दुनिया की सुध रखना
थोडा़ ज्यादा समय देने के चक्कर में
थोडी़ डाँट डपट खाकर रो लेना
और फिर कहना खैर सब ठीक है ।
सबको एक तरफ छोड़ देना
और सिर्फ़ खुद की इच्छा को सुन लेना
सुनकर उसी में जी जान से लीन होना
न समय न समाचार न देश दुनिया की सुध रखना
थोडा़ ज्यादा समय देने के चक्कर में
थोडी़ डाँट डपट खाकर रो लेना
और फिर कहना खैर सब ठीक है ।
हजा़रों सवालों से घिरकर भी उनको नज़रअंदाज़ करना
खुद की ख्वाहिश होने पर भी अपने-आप को मना करना
कब तक परवाह की जाए सबकी ,
अगर एक पल ठहर खुद की सुन ली तो
क्यों उसे इतना ' इंटीमेट ' करना ??
दौड़ भाग भरी जिंदगी है
किसको तुम्हारी खैरियत की पडी़ है
खैर , बाकी सब ठीक है !!
खुद की ख्वाहिश होने पर भी अपने-आप को मना करना
कब तक परवाह की जाए सबकी ,
अगर एक पल ठहर खुद की सुन ली तो
क्यों उसे इतना ' इंटीमेट ' करना ??
दौड़ भाग भरी जिंदगी है
किसको तुम्हारी खैरियत की पडी़ है
खैर , बाकी सब ठीक है !!
_ रूचि तिवारी
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