छत पर बैठी सोच रही थी
नीचे से एक गूँज उठी थी
एक रिक्शा गाना बजाए
चला हर राह को अपना बनाए।
नीचे से एक गूँज उठी थी
एक रिक्शा गाना बजाए
चला हर राह को अपना बनाए।
ध्यान उसने कुछ ऐसा खींचा
कानों को सबके उसने पीटा
नियमों को था उसने मींजा
बच्चें बूढ़ों सभी को घसीटा ।
कानों को सबके उसने पीटा
नियमों को था उसने मींजा
बच्चें बूढ़ों सभी को घसीटा ।
सुनकर मुझको पता चला
अब तुमको है करना मतदान भला
जिम्मा और ये है अधिकार
व्यर्थ न जाने दो इसे यार ।
अब तुमको है करना मतदान भला
जिम्मा और ये है अधिकार
व्यर्थ न जाने दो इसे यार ।
अगले दिन अखबार पढा
जिसमें था मतदान को गढा़
दिखे कई मुझे विज्ञापन
दर्शा रहे थे जो अपनापन ।
जिसमें था मतदान को गढा़
दिखे कई मुझे विज्ञापन
दर्शा रहे थे जो अपनापन ।
प्रसारों ने क्या किया बताया
प्रचारों ने क्या करना है समझाया
मुझको तो यही भाया
मतदान सबसे जरुरी यह समझ आया।
प्रचारों ने क्या करना है समझाया
मुझको तो यही भाया
मतदान सबसे जरुरी यह समझ आया।
अब बस है इतना कहना _
चलो करें मतदान राष्ट्र निर्माण में अपना भी हो योगदान|
एक वोट से देश बदल जाएगा सही चयन से परिवेश बदल जाएगा|
शिक्षा हो या स्वास्थ, सब कुछ मिलेगा ,तुम्हारी एक उंगली से देश का विकास रूपी पहिआ भी चलेगा|
परंतु यह संभव तभी होगा जब तुम्हारा वोट सही होगा|
कुछ लोग तुम्हें झूठे सपने दिखाएंगे धन का लालच देंगे और शराब भी पिलाएंगे
इस भंवर से बच गए तो धर्म जाति के नाम पर भटकाएंगे|
प्रण लेते हैं न डरेंगे न बटेंगे न वोट का सौदा होगा
अब तो सही चुनाव और लोकतंत्र का महल खड़ा होगा|
चलो करें मतदान राष्ट्र निर्माण में अपना भी हो योगदान|
एक वोट से देश बदल जाएगा सही चयन से परिवेश बदल जाएगा|
शिक्षा हो या स्वास्थ, सब कुछ मिलेगा ,तुम्हारी एक उंगली से देश का विकास रूपी पहिआ भी चलेगा|
परंतु यह संभव तभी होगा जब तुम्हारा वोट सही होगा|
कुछ लोग तुम्हें झूठे सपने दिखाएंगे धन का लालच देंगे और शराब भी पिलाएंगे
इस भंवर से बच गए तो धर्म जाति के नाम पर भटकाएंगे|
प्रण लेते हैं न डरेंगे न बटेंगे न वोट का सौदा होगा
अब तो सही चुनाव और लोकतंत्र का महल खड़ा होगा|
_ रुचि तिवारी
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