चलो आज थोड़ी "मटरगश्ती" कर आते हैं ,
यादों के "गुल्लक" के लिए ,
कुछ यादें "कमा" कर आते हैं !!!!
किसी को "हँसा" कर आते हैं ,
किसी को "छेड़" कर आते है !!!
किसी की "चोटी" खींच ,
चलो थोड़ा उसे "दौड़ा" के आते हैं !!!
उसे "थका" के आते हैं ,
और खुद "छुप" जाते है !!!
कुछ "मस्ती" , कुछ यादों की कशती ,
में चलो आज "सैर" कर आते हैं !!!
कुछ "खट्टी-मीठी" यादों के साथ ,
स्मृति के "सागर" मे तैर कर आते हैं !!!
थोड़ा तुम "खोना" थोड़ा हम खोयेंगे ,
चलो एक एक "गोता" लगा कर आते हैं !!!
स्मृतियों का एक "आशियाँ" बनाते हैं ,
हमारी तुम्हारी कुछ यादें "सजा" कर आते हैं !!!
_रुचि तिवारी एवं आ. लता खरे जी
नोट : यह कविता दोनों कवयित्रियों ने मिलकर साझेदारी में लिखी है। आज के युग की लेखन विधा में मशहूर "Collab(जुगलबंदी)" विधा के अंतर्गत इसे पूर्ण किया गया है एवं पब्लिश भी दोनों की सहमति से किया जा रहा है ।
यादों के "गुल्लक" के लिए ,
कुछ यादें "कमा" कर आते हैं !!!!
किसी को "हँसा" कर आते हैं ,
किसी को "छेड़" कर आते है !!!
किसी की "चोटी" खींच ,
चलो थोड़ा उसे "दौड़ा" के आते हैं !!!
उसे "थका" के आते हैं ,
और खुद "छुप" जाते है !!!
कुछ "मस्ती" , कुछ यादों की कशती ,
में चलो आज "सैर" कर आते हैं !!!
कुछ "खट्टी-मीठी" यादों के साथ ,
स्मृति के "सागर" मे तैर कर आते हैं !!!
थोड़ा तुम "खोना" थोड़ा हम खोयेंगे ,
चलो एक एक "गोता" लगा कर आते हैं !!!
स्मृतियों का एक "आशियाँ" बनाते हैं ,
हमारी तुम्हारी कुछ यादें "सजा" कर आते हैं !!!
चलो आज थोड़ी "मटरगश्ती" कर आते हैं ,
यादों के "गुल्लक" के लिए ,
कुछ यादें "कमा" कर आते हैं !!!!
_रुचि तिवारी एवं आ. लता खरे जी
नोट : यह कविता दोनों कवयित्रियों ने मिलकर साझेदारी में लिखी है। आज के युग की लेखन विधा में मशहूर "Collab(जुगलबंदी)" विधा के अंतर्गत इसे पूर्ण किया गया है एवं पब्लिश भी दोनों की सहमति से किया जा रहा है ।
Awesome..
ReplyDeletethankyou..
DeleteKya BAAT h
ReplyDeletethankyou...
DeleteKya bat hai vah
ReplyDeletethankyou sir...
DeleteYou are amazing writer
ReplyDeletethankyou so much..
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