Thursday, December 20, 2018

जिंदगी : ??????

खुद में जो खो जाऊँ
तो सोचने को बहुत है,
सितारों में जो सिमट जाऊँ
तो खोने को बहुत है ।
है अलहदा जिंदगी तू बहुत
तूझमें जो डूब जाऊँ तो
जीने को दिन कम
और करने को काम बहुत है।
सोचती हूँ एक शाम ढूँढ लूँ
तेरे दिए गए सिरदर्द के लिए बाम ले लूँ
छोड़ इन सब कहानियों को
दूर जा तुझ संग एक जाम ले लूँ ।
चल एक सिक्का उछालते हैं
एक पहलू पर तू दूजे पर मुझे बैठाते है
ओ खुशनुमा जिंदगी ,
तू मुझसे शिकायतें करना , मैं तुझसे करूँगी
हँसने की वजह हो या न सही ,
चल एक दूसरे पर हम खुद ही बेवजह मुस्कराते हैं ।
                                 .............रूचि तिवारी

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