Saturday, December 15, 2018

ऐ उन्नति ...

इस तरह तेरा ऐतबार किया ,
खुद से भी ज्यादा उसने तुझे प्यार किया
निकली बस दो पल की खुशी
ऐ उन्नति ! तूने उससे ही ऐतराज़ किया ।
पिरो तूझे ख्वाहिशों में ,
थी उसने एक माला बुनी
एक एक मोती दर मोती
गढ़ी थी उसने कई बातें अनकही ।
मशक्कत कर रही थी उसकी कलाई
तू उसके संग थोड़ा वक्त भी न बिताई
देख अपना खुद का यह आलम ,
अपनों संग अच्छे से उसने खुशियाँ भी न मनाई ।
तेरा अलग ही रौब है
तुझको खोने का सबको खौफ है
तेरे लिए सभी क्या-क्या नहीं हैं करते
ऐ उन्नति ! देख , तेरे लिए सब कितना है लड़ते ।
                           ...............रुचि तिवारी

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