Tuesday, April 23, 2019

स्वीप में बाल कलाकारों का कमाल !!!

" काय बिन्ना ! वोट डारवे जेहो की नयी ? .... काय तुम्हें पता नइया वोट डारवो कित्तो जरूरी है ? ..... जे लेओ कर लेओ बात ! तुम तो पढी़ लिखी मेमसाब हो फिर भी देश लाजे अपनी जिम्मेदारी से जी चुरा रयी हो ! ...... हम तो भज्जा अपनो सारो काम काज बाद में करहें , सबसे पहले वोट डाल के आहें ..... " 
अरे अरे अरे !!!!! इसे पढ़कर अचंभित मत होइये ।  मैं  यहाँ  आपको  "मत्तो बाई " के  बुंदेलखंडी बोली  के  चुलबुले पर एक दम सटीक डाॅयलागों से रूबरू करवा रही हूँ ।  अब आप सोच रहे होंगे की मत्तो बाई कौन सी  अभिनेत्रि है ??? तो आगे बढ़ते बढ़ते पूरी कथा वाचन करती हूँ.....
मतदाता जागरुकता अभियान और स्वीप (सिस्टिमैटिक वोटर्स एजुकेशन एंड इलै्कटोरल पार्टिसिपेशन) के कार्यकमों का मुख्य किरदार है " मत्तो बाई " । जिसने इस जिम्मेदारी ली है जन जन को मतदान के लिए जागरूक करने की ।

मत्तो बाई और कोई नहीं बल्कि संभागीय बाल भवन की बाल अभिनय कलाकार है । संभागीय बाल भवन स्वीप , मतदाता जागरूकता अभियान का पार्टनर है और यह एक नई पहल है जब बाल कलाकारों / नाबालिगों को ऐसे कार्यक्रमों में जोड़ा गया है । हैरतअंगेज बात यह है कि इनको इस जिम्मेदारी के विषय में ज्यादा ज्ञान न होने के बावजूद अपने-आप को किसी से कम नहीं समझते और तो और जब अधिकारियों की चुनाव ड्यूटी लगने पर जहाँ वो काम को देख मुँह बिचकाते हैं वहीं ये उर्जावान कलाकार अपने गुरूजनों से अगले कार्यक्रम की तारीख पूछते नहीं थकते ।

मत्तो बाई की टेर ......
मत्तो बाई का किरदार निभा रहीं पलक गुप्ता महज अभी पंद्रह वर्ष की है और बहुत ही अच्छी बाल अभिनय कलाकार है । जब उनसे पूँछा गया कि वो अपने इस किरदार में खुश हैं या नहीं तो उन्होंने बताया कि जब उन्हें मत्तो बाई का किरदार निभाने कहा गया तो नाम सुनकर अजीब लगा क्योंकि किरदार के उद्देश्य के बारे में नहीं बताया गया था पर जैसै ही पता चला वो तुरंत राजी हो गई । पहल पहल ज्यादा तो नहीं पता था पर खुशियों का अंबार तब लगा जब पता चला कि बहुत सारे बच्चों में से मुझे चुना गया है और मेरी पर्फारमेंस सभी को बहुत पसंद आ रही है और लगातार सराहना मिल रही है । और छोटी सी उम्र से ही सहभागिता का मौका मिला । मत्तो बाई अपने हमउम्र साथियों से ये अपील करना चाहती हैं की हम स्कूल में सिविक्स (नागरिक शास्त्र ) एक विषय के तौर पर परिक्षाओं में पास होने के लिए सिर्फ़ न पढे़ उससे अपने अधिकारों , कर्तव्यों के प्रति खुद तो सजग हो हीं साथ ही साथ बडो़ को भी करें ।


" बूथ तलक तुम जाना ...... मतदान करके आना ..... अपना फर्ज़ निभाना ..... मतदान करके आना ......" 
ये डायलाॅग नहीं है अपितु गाने के बोल हैं । पंद्रह वर्षीय बाल कवियित्री उन्नति तिवारी  के जो कि अपनी स्वरचित कविताओं और गीतों के माध्यम से जनता को जागरूक कर रही हैं । जब उनसे पूँछा गया कि वो क्या अपनी कोशिशों में कामयाब हो पा रही हैं तो उन्होंने बताया की बहुत अच्छी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं । आज के दौर में जहाँ फिल्मी गानों का चलन अत्यधिक है वहाँ पर भी हर आयुवर्ग मेरे गीत सुन रहा है , प्रभावित हो रहा है और प्रशंसा भी कर रहा है । जब मेरी गुरुमाँ ने गीत लिखने कहा तो मैं थोड़ी असहज हुई पर चुनावी माहौल था और कुछ दिन पहले ही विधानसभा चुनाव हुए थे तो उस माहौल की यादें भी ज़हन में थी इसलिए काफ़ी अच्छा कर पाई ।  बाल कवियित्री ये अपील करना चाहती हैं की शत् प्रतिशत मतदान से ही देश का विकास होगा इसलिए मतदान अवश्य करें । अपनी जिम्मेदारी निभाएं।

गुरु शिष्य परंपरा का है निर्वहन
संभागीय बाल भवन संचालक श्री गिरिश बिल्लौरे जी ने बताया कि आज भी बाल भवन में गुरु शिष्य परंपरा ही चलती है । और हमारे इन बाल कलाकारों की नींव हैं बच्चों की गुरुमाँ  डाॅ रेणु पान्डे एवं शिप्रा सुल्लेरे जी , जो निरंतर बच्चों की पाॅलिशिंग कर उन्हें निखार रही हैं । और हर कार्यक्रम में रचनात्मकता की ऊँचाइयों के शिखर पर जाकर एकदम नया मसालेदार फ्लेवर नागरिकों के समक्ष प्रस्तुत करने पेश कर रही हैं ।

बाल भवन संचालक बताते हैं कि मूलतः हर कार्यक्रम में स्टैंडर्ड भाषा ली जाती है जिस कारण समाज के कुछ वर्ग नहीं जुड़ पाते हैं इसलिए हमारी बोली बुंदेलखंडी फ्लेवर को भी इस बार समाहित किया जिससे मनोरंजन भी हो , हर वर्ग तक बात भी पहुँचे , जो चीजें छूट रहीं हैं (हमारी बोली के प्रति स्नेह) , और एक बंधे बंधाएं फार्मेट से निकल कुछ नई पहल करें ।


इन बाल कलाकारों के लिए बस यही शब्द हैं :
छोटे पैकेट बडे़ धमाल .....
स्वीप में बाल कलाकारों का कमाल !!!!

लेखिका _ रुचि तिवारी 
Ground reporting : रुचि तिवारी , वृष्टि नारद , साकेत सिंह , कशिश पारवानी । 





3 comments:

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KK, 90's के दौर का वो नाम जिसकी आवाज सुन हम सभी बड़े हुए। 'कुछ करने की हो आस-आस... आशाएं' या 'अभी-अभी तो मिले हो, अभी न करो ...