माय डियर डायरी "पिचकू",
इस शहरीकरण ने सबकी जीवनशैली में न जाने कितने बदलाव ला दिया है। तुम नहीं जानती पर अगर किसी पर असर पड़ा है तो वह रिश्तों में, रिश्तेदारों में, अपनो में।
आज पापा की मौसी घर आई हैं। मैं जब जन्मीं थी तब वह मुझे देखी थी, तब आई थी, घर में फंक्शन हुआ था। तू सोच तब से वो न तो यहाँ आई और न ही हम कभी मिले। अगर मैं सवाल करूँ तो जवाब यह मिलता है कि वक्त ही नहीं था।
आज जब उन्होंने मुझे देखा तो सरपट उनके मुँह से सिर्फ़ यही निकला कि बिल्कुल अपने पापा की तरह दिखती है। उनकी छाया लगती है। मैं एकपल को स्तब्ध रह गई। उनकी बातें सुन थोड़ी देर बाद मैं अपने कमरे में आकर बैठ गई। दादी माँ की बातों पर गौर करने बैठ गई। क्या मैं पापा की छाया हूँ? क्या यह वाकई सच है?
जवाब मिला मुझे ~ हाँ, पर सिर्फ़ शक्ल से ही नहीं। यह मैंने जाना। मेरा वजूद उनसे हैं। सब मुझे मस्त मौला कहते हैं,ऐसे रहना पापा ने ही तो सिखाया था। जब मैं छोटी-छोटी बातों पर फिक्र करने लगती थी तब उन्होंने समझाया था कि परेशान होने से परेशानी और बढ़ती हैं, कोई रास्ता नहीं नज़र आता। यह बात गाँठ बाँध ली थी और नतीजतन ऐसी हूँ। पापा ने ही तो हार न मानना सिखाया था। कहा था कि जब भी लगे बस अब यह काम न हो पायेगा समझ लेना तुम महज़ एक कदम पीछे हो, थोड़ी सी और मेहनत कर लोगी तो मंजिल तक पहुँच जाओगी। पापा ने अगर मुझे मेरी गलतियों पर डाँट नहीं लगाये होते तो आज सही-गलत का फर्क नहीं जानती। अगर मैं अपने दोस्तों के बीच एक बेहतरीन खूबसूरत इंसान की मिसाल हूँ तो सिर्फ़ इसलिए की पापा ने ही समझाया था कि तुम्हें एक बेहद लम्बा सफ़र तय करना है जिंदगी का। यह तुम पर निर्भर करता है कि तुम खूबसूरती से तय करना चाहती हो या भागमभाग बदहाली से। इंसान की खूबसूरती उसकी शक्ल या रंग से नहीं ज़ाहिर होती है। उसकी आत्मा और मन की पवित्रता से होती है। तुम आज जो भी करोगी उसका रिजल्ट तुम्हें कहीं-न-कहीं किसी-न-किसी रूप में जरूर मिलेगा।
कमजो़रियों को ताकत बनाना, मेरी ख्वाहिशों को अपनी बनाना, खुद को ताक पर रख मुझे अपनी प्राथमिकता बनाना, मेरी मुस्कान के लिए न जाने कितने अभिनय करना, हज़ारों परिस्थिति में भिन्न-भिन्न किरदार निभाना। बहुत कुछ उन्हें देख, जान और समझकर सीखा है मैंने।
आज मैं जो भी हूँ, मेरे वजूद का कारण मेरे पापा का तप, त्याग, स्नेह और भरोसे का परिणाम है। मेरा अस्तित्व ही मेरे पिता की छाया है।
_रुचि तिवारी