मेरे ज़हन में अचानक समा गये,
मन में अफरा-तफरी मचा गये,
ऐ, ख्याल तुम क्यों आ गये?
लाख कोशिशों के बावजूद,
हजार सवाल उठा गये,
सीधी-सादी सी बात पर,
क्यों मुझे उलझा गये?
ऐ, ख्याल तुम क्यों आ गये?
ना चाहते हुए भी बार-बार उसका जिक्र ला गये,
भूलने के बावजूद क्यों तुम हर बार याद आ गये,
इसे विनती कहूँ या सवाल,
लेकिन बताओ;
ऐ, ख्याल तुम क्या मेरे ज़हन से जा पाओगे?
क्या कभी मुझे तुमसे भटका पाओगे,
या यूं ही हर पल सताओगे,
माना, सच तुमसे इतर है,
फिर क्यों एक सच की तरह आकर बस गये,
बताओ ख्याल, क्या तुम कभी जा पाओगे?
-रुचि तिवारी